भगंदर रोग का अयुर्वेदिक इलाज
3 महीने का रोग 1 महीने की दवा से बिल्कुल ठीक हो जाता है।
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भगन्दर काफी पीड़ादयक रोग है। भगंदर रोग में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता है।
घाव छोटा या बड़ा हो सकता है। जब यह फोड़ा फट जाता है तो इससे खून बहने लगता है। खून बहने के कारण मरीजों को गुदा द्वार के पास बहुत अधिक दर्द होता है।
भगंदर के रोगियों को मल त्यागने के समय बहुत अधिक पीड़ा होती है। रोगी को बैठने पर भी तेज दर्द होता है।
प्रायः यह देखा जाता है कि जब किसी को भगंदर रोग होता है तो मरीज बहुत चिंतित हो जाता है।
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आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भगंदर का इलाज कराने के साथ-साथ अगर आप भगंदर के लिए डाइट प्लान का पालन करेंगे तो बीमारी पर नियंत्रण पा सकेंगे।
उपचार :
1चम्मच भगंदर नाशक चुर्ण
2 वटी कचनार गुगुल
1 वटी वातदर्द गोली
✅ यह एक खुराक है। सुबह शाम खाने से 30 मिनट बाद ताजे पानी से सेवन करते रहें।
✅ त्वचा रोग नाशक तेल: सुबह शाम भगंदर पर लगाते रहे।
भगन्दर रोग में क्या खए
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भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-
अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल
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अन्य: हल्का भोजन, घी, सैंधव (काला नमक), मटठा अत्याधिक पानी पिएं।
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सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड
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सिद्ध अयुर्वेदिक आश्रम सिरहिन्द
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