ह्रदय रोग और बढ़े कालेस्ट्राल की दवा
सिद्ध ह्रदय कल्पयोग
सेवन विधि:
1 चम्मच हिर्दय कल्पचुर्ण
1 कैप्सुल कार्डिफट
सुबह शाम खाने 30 मिनट बाद ताजे पानी से सेवन करे।
साथ मे 2चम्मच अर्जुनरिष्ट सिरप 100 ml पानी में मिलाकर सेवन करे।
हाई ब्लड प्रेशर होने पर :
1 कैप्सुल bptone
2 गोली प्रशान्ति
ताजे पानी से सेवन कर 30 मिनट आराम करें।
लाभ:- बढ़े ह्रदय , खून में चर्बी ( ट्राइग्लिसराइड्स)
अधरंग के दौरे .पोटेशियम की कमी ह्रदय का वाल बंद हो, खराटे की समस्या ,Bp हाई , दिल में तेज दर्द ,हृदय में दर्द अचानक उठना, बाएं कंधे तथा बाएं हाथ तक फैल जाना।
सांस फूलना, घबराहट बढ़ जाना, ठंडा पसीना आना तथा बेहोश हो जाना, जी मिचलाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना तथा नब्ज कमजोर मालूम पड़ना इस रोग के अन्य लक्षण हो तो यह दवा रामबाण है।
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जिन को हदय का अटैक हुआ है उन को दवा कारगर है। जिस रोगी के दिल का आकार बढ़ा हो और सांस लेने में मुश्किल हो वो यह दवा बनाए ओर सेवन करे। यह दवा आप खुद बना सकते है।
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हिर्दय कल्पचुर्ण :घटक
अर्जन छाल चुर्ण 200 ग्राम
गिलोय 100 ग्राम
बेल चुर्ण 100 ग्राम
त्रिफला 100 ग्राम
अश्वगंधा 50 ग्राम
तुसली बीज 50 ग्राम
पुनर्नवा 50 ग्राम
राई 50 ग्राम
अकरकरा 50 ग्राम
मुलेठी 50 ग्राम
कुटकी 50 ग्राम
इन्द्रयाण अजवायन 50 ग्राम
बरगद का दूध 50 ग्राम
जावित्री 20 ग्राम
दालचीनी 20 ग्राम
पीपला मूल 20 ग्राम
छोटी इलायची 20 ग्राम
:हींग 10 ग्राम
बच 10 ग्राम
सोंठ 10ग्राम
जीरा 10ग्राम
कूट 10ग्राम
जवाखार 10 ग्राम
200 ग्राम गिलोय रस औऱ 500 ग्राम एलोवेरा रस में भावना देकर सायं में सुखा कर हिर्दय कल्पचुर्ण मिश्रण तैयार होता है।
भोजन और परहेज:
अत्यधिक गर्म एवं ठंडे दोनों खाद्य-पदार्थों से बचें। अधिक परिश्रम, सहवास, घी, मलाई, मक्खन आदि हानिकारक है।
तम्बाकू, जर्दा, चाय, कॉफी, शराब एवं अन्य नशीली चीजें तथा मांस-मछली, गर्म मसाला आदि का सेवन करना मना है।
हृदय-रोग में शीर्षासन कभी न करें।
रोगी को हाइड्रोजनकृत चर्बी जैसे- घी, मक्खन, वनस्पति, नारियल का तेज, नकली मक्खन या ताड़ का तेल आदि का उपयोग भोजन में नहीं करना चाहिए।*
इन तेलों की जगह रोगी को सोयाबीन तेल, सूर्यमुखी तेल या कुसुम कराड़ी तेल का उपयोग करना चाहिए। पापकार्न, मजोला या सफोला तेल का भी उपयोग भोजन बनाने में कर सकते हैं।
क्रीम, पनीर या दूध से बने दही या अन्य मिठाईयां जो गाढ़े दूध से बनी हो जैसे- गुलाब जामुन, मावा, चाकलेट तथा रसगुल्ले आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
साथ में यह जरूर करते रहे
रोजाना ध्यान में घंटा भर बैठना, प्राणायाम, आसन, व्यायाम, हर रोज आधा घंटा घूमने जाना और चर्बी बढऩे से रोकने के लिए सात्विक या शाकाहारी भोजन अत्यंत लाभकारी है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक स्वस्थ आहार, धूम्रपान छोडऩे, एक स्वस्थ वजन बनाए रखने और तनाव से खुद को बचाए रखना भी काफी अहम है।
दिल की बीमारी
*दिल और रक्त वाहिका रोग - हृदय रोग भी कहा जाता है - कई समस्याएं भी शामिल, जिनमें से कई नामक एक प्रक्रिया से जुड़े हुए हैं atherosclerosis. यह रोग एक चिपचिपा के निर्माण है, वसायुक्त पदार्थ कहा जाता है “पट्टिका” अपने धमनियों की आंतरिक दीवारों पर. फलक निर्माण रक्त के प्रवाह को सीमित करता है. तो एक खून का थक्का रूपों, यह रक्त के प्रवाह को रोक सकता है. यह एक दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन सकती.*
दिल का दौरा
दिल का दौरा तब होता है जब दिल का एक हिस्सा में रक्त का प्रवाह एक खून का थक्का द्वारा अवरुद्ध है. इस थक्का पूरी तरह से रक्त के प्रवाह को काट देता है तो, हृदय की मांसपेशी कि धमनी द्वारा आपूर्ति का हिस्सा मरने के लिए शुरू होता है. अधिकांश लोगों को अपने पहले दिल का दौरा पड़ने के जीवित रहने और अपना सामान्य जीवन पर लौटने उत्पादक गतिविधि के कई और साल का मज़ा लेने में.
आघात
एक इस्कीमिक स्ट्रोक (सबसे आम प्रकार) होता है जब एक रक्त वाहिका है कि मस्तिष्क फ़ीड अवरुद्ध हो जाता है, आम तौर पर एक खून का थक्का से. एक रक्तस्रावी स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क फटने के भीतर एक रक्त वाहिका. सबसे संभावित कारण अनियंत्रित उच्च रक्तचाप है (रक्त चाप).
*अंत में स्ट्रोक तब होता है जब आपके मस्तिष्क के एक भाग में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है. ऑक्सीजन और रक्त से पोषक तत्वों के बिना, मस्तिष्क की कोशिकाओं को जल्दी मर जाते हैं. एक स्ट्रोक अपने मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता. यह भी आप को मार सकता है.*
*ह्रदय का रुक जाना*
*यह स्थिति, यह भी कहा जाता है “कोंजेस्टिव दिल विफलता,” जब अपने दिल इतना कमजोर हो जाता है यह काफी खून पंप नहीं कर सकते हैं अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए है. यह मतलब नहीं है कि अपने दिल की धड़कन बंद कर दिया है. लेकिन यह एक गंभीर हालत है, और यह चिकित्सा देखभाल की जरूरत है.*
*किसी भी शरीरक स्मयसा के लिए contact करे।
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Sidh ayurvedic asram
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