सिद्ध बाजीकरण योग-जगाएँ तन मन की शक्ति- भारती ऋषियों की अयुर्वेदिक खोज पर आधारित,32 जड़ी बूटियों का मिश्रण।


बाजीकरण योग:शीघ्रपतन और नामर्दी रोग में कारगर अयुर्वेदिक योग


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            सिद्ध बाजीकरण योग

                     सोना युक्त


शीघ्रपतन और नामर्दी रोग में कारगर अयुर्वेदिक योग

                                  

सिद्ध बाजीकरण योग शीघ्रपतन और नामर्दी रोग के लिए कारगर योग है जो पुरुष वीर्य औऱ वीर्य शक्राणु को बढ़ा कर पुरषों को निपुण बनाता है। यह योग शरीर की  हर शक्ति को  पुनर्जीवित करता है।


बाजीकरण योग  सोना भस्म,नागकेसर, शिलाजीत और लोहभस्म के साथ 32 और जडी बुटी के मिश्रण  को मिलाकर बना होता है।


 

सिद्ध बाजीकरण योग शरीर की कमजोरी, दिमागी कमजोरी, नशों की कमजोरी, नर्वस सिस्टम ,

  नज़र की कमजोरी,पेट की कमजोरी,खून न बनना और वीर्य की कमजोरी में 100%कारगर है।      

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✅ जो व्यक्ति यौन संबन्ध नहीं बना पाता या जल्द ही शिथिल हो जाता है वह नपुंसकता का रोगी होता है। इसका सम्बंध सीधे जननेन्द्रिय से होता है।

                      

✅ इस रोग में रोगी अपनी यह परेशानी किसी दूसरे को नहीं बता पाता या सही उपचार नहीं करा पाता मगर जब वह पत्नी को संभोग के दौरान पूरी सन्तुष्टि नहीं दे पाता तो रोगी की पत्नी को पता चल ही जाता है कि वह नंपुसकता के शिकार हैं।

                      

✅ इससे पति-पत्नी के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं और कई तरह के पारिवारिक मन मुटाव हो जाते हैं बात यहां तक भी बढ़ जाती है कि आखिरी में उन्हें अलग होना पड़ता है।

                         

✅कुछ लोग शारीरिक रूप से नपुंसक नहीं होते, लेकिन कुछ प्रचलित अंधविश्वासों के चक्कर में फसकर, सेक्स के शिकार होकर मानसिक रूप से नपुंसक हो जाते हैं मानसिक नपुंसकता के रोगी अपनी पत्नी के पास जाने से डर जाते हैं। सहवास भी नहीं कर पाते और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

                         

       नपुंसकता रोगो में कारण क्या


नपुंसकता के दो कारण होते हैं- शारीरिक और मानसिक। चिन्ता और तनाव से ज्यादा घिरे रहने से मानसिक रोग होता है। नपुंसकता शरीर की कमजोरी के कारण होती है।

                           


ज्यादा मेहनत करने वाले व्यक्ति को जब पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता तो कमजोरी बढ़ती जाती है और नपुंसकता पैदा हो सकती है। हस्तमैथुन, ज्यादा काम-वासना में लगे रहने वाले नवयुवक नपुंसक के शिकार होते हैं। ऐसे नवयुवकों की सहवास की इच्छा कम हो जाती है।

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       नपुंसकता लक्षण  क्या है??


मैथुन के योग्य न रहना, नपुंसकता का मुख्य लक्षण है। थोड़े समय के लिए कामोत्तेजना होना, या थोड़े समय के लिए ही लिंगोत्थान होना-इसका दूसरा लक्षण है। मैथुन अथवा बहुमैथुन के कारण उत्पन्न ध्वजभंग नपुंसकता में शिशन पतला, टेढ़ा और छोटा भी हो जाता है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।

                       


      सिद्ध बाजीकरण योग घटक


नोटः- कृपया किसी वैद्य की देख रेख में यह नुस्खा तैयार करे कुछ जड़ी बूटियों को शुद्ध करना होता है।


●सफेद मूसली -250 ग्राम

●कीकर फली -100 ग्राम (बीज रहित)

●अश्वगंधा -100 ग्राम

●सतावरी-100  ग्राम

●गोखरू(शुद्ध करे)-100 ग्राम

●जयफल -100 ग्रा

●जामुन - 100 ग्राम

की गुठली

●कौंच के (शुद्ध करे) - 100ग्राम

  बीज के चूर्ण

●तालमखाना (शुद्ध करे)-50 ग्राम

●गिलोय चुर्ण-50 ग्राम

●सफेद जीरा-50ग्राम

●सेमल का चूर्ण -50ग्राम

●बबूल गोंद-50 ग्राम

●4 मगज-50 ग्राम

●सालममिश्री-250ग्राम

●सालम पंजा-250ग्राम


सोना भस्म,नागकेसर, शिलाजीत और लोहभस्म के साथ 5 और जडी बुटी का मिश्रण  को मिलाकर चुर्ण बनाया जाता है।


सेवन विधि- 

बादाम ,काजू, मुनक्का और छुहारा युक्त  300 ग्राम दूध के साथ सुबह से-शाम 1-1चम्मच करे इस्तेमाल।

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   सिद्ध बाजीकरण कल्पचुर्ण के फ़ायदे


✅ बाजीकरण कल्पचुर्ण के प्रयोग से शुक्रानुओ में वृद्धि होती है इसका 90 दिन प्रयोग करें। इसको खाने से संतान की प्राप्ति हो सकती है।


✅ यह योग 20 से 30 मिनट तक timing में ले जाता है।


✅ सिद्ध बाजीकरण शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, स्नायु व मांसपेशियों को ताकत देने वाला एवं कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है।


✅ यह धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि के लिए उत्तम औषधि है।


✅इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यदोष दूर होते हैं।


✅ धातु की कमजोरी, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना आदि विकारों में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायी है।


✅ यह राज्यक्ष्मा(क्षयरोग) में भी लाभदायी है। इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है।


✅ यह वातशामक तथा रसायन होने के कारण विस्मृति, यादशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है।


✅ दूध के साथ सेवन करने से शरीर में लाल रक्तकणों की वृद्धि होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, शरीर में शक्ति आती है व कांति बढ़ती है।


✅ यह औरतों के संभोग करने की क्षमता को बढाता है. इसके इलावा  शक्तिवर्धक कल्पचुर्ण पुरुषों की कामेक्षा बढाने के लिए भी असरदायक है. इन्फर्टिलिटी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, थकान, कमजोरी, लो स्पर्म काउंट और यूरिन की समस्या को दूर करने के लिए लाभकारी है।

दवा लेते समय यह परहेज करे


1. तेल और तली चीजें, अधिक लाल मिर्च, मसालेदार पदार्थ, इमली, अमचूर, तेज खटाईयां व आचार।


2. प्रयोग काल में घी का उचित सेवन करना चाहिए।


3. पेट की शुध्दि पर भी ध्यान देना चाहिए। कब्ज नही होने देनी चाहिए। कब्ज अधिक रहता हो तो प्रयोग से पहले पेट को हल्के दस्तावर जैसे त्रिफला का चूर्ण एक चमच अथवा दो-तीन छोटी हरड़ का चूर्ण गर्म दूध या गर्म पानी के साथ, सोने से पहले अंतिम वास्तु के रूप में लें।


4. सेवन-काल में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।


5. ओषधि सेवन के आगे-पीछे कम से कम दो घंटे कुछ न खाएं। खाली पेट सेवन से यह मतलब है।



दवा लेते कुछ सावधानियां


✅ इसका उपचार करते समय लगभग 4-5 दिन तक स्त्री के साथ संभोग नहीं करना चाहिए।


✅ रात को सोते समय पानी में किशमिश के 6-7 दाने भिगोकर सुबह नाश्ते के समय पानी के साथ ही खा लें।


✅ काले चनों का सूप बनाकर पिएं और उनको उबालकर खाना भी लाभकारी होता है।


✅ अगर खाना चाहो तो बादाम की 8-10 गिरियों को भी खा सकते हैं।


✅ मन को एकदम गलत विचारों से दूर रखें।


        गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ और मांस, अण्डे आदि, हस्तमैथुन करना, अश्लील पुस्तकों और चलचित्रों को देखना, बीड़ी-सिगरेट, चरस, अफीम, चाय, शराब, ज्यादा सोना आदि बन्द करें।


ये उपाय पुराने से भी पुराने धात रोग को ठीक कर देता है! वीर्य गाड़ा हो sex timing को कुदरती बढ़ावा देगा।


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