डेंगू, पुराना बुखार, टाइफाइड, चिकन पॉक्स औऱ गुनिया और खून में इंफेक्शन की अति उत्तम अयुर्वेदिक औषधि

सिद्ध ज्वर नाशक कल्पचुर्ण  और सिद्ध गिलोय काढ़ा


 शरीरिक प्रीतिरोधक सिद्ध अयुर्वेदिक योग

सिद्ध ज्वर नाशक कल्पचुर्ण
     और सिद्ध गिलोय काढ़ा
   

➡️ सेवन विधि: 1 चम्मच चुर्ण:2 गोली संजीवनी:2 गोली महा सुखदर्शन: 1गोली गिलोय
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यह एक खुराक हैं जो ताजे पानी से सेवन कर 200 ग्राम बकरी का दूध सेवन करना है।

➡️ 20 मिनट बाद गर्म गिलोय काढ़ा सेवन करना है।

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नोटःबना बनाया काढ़ा  और दवा सिद्ध अयुर्वेदिक आश्रम सानीपुर रोड  सिरहिन्द से प्राप्त करे।
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लाभः

 सिद्ध शरीर प्रीतिरोधक योग   नियमित रुप से सेवन करने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। यह हर प्रकार के संक्रामक रोग में अमृत का काम करता है।


✅ wbc sells की कमी को 30 घंटे में पूरा कर देता है औऱ मरीज तुरंत अपने काम काज पर चला जाता हैं।

✅ पुराना बुखार 21 दिन के कोर्स से समाप्त हो जाता हैं।
✅ कोई भी पीलिया हो यह 100%काम करता है।
✅ बार बार बुखार का आना यह 21 दिन के कोर्स ठीक कर देता है।
✅ खून में इंफेक्शन में लाभदायक है।
✅ दिमागी बुखार में लाभदायक है।
✅ टाइफाइड बुखार
✅ चिकन गुनिया
✅ वायरल फीवर और मलेरिया।

किसी भी प्रकार का  बुखार और हैपेटाटस ए बी सी  हो या डेंगू बुखार हो.... यह दवा रामबाण औषधि  है ।

हर प्रकार की खून  इन्फ़ेक्सन के लिए और निमोनिया में अति उत्तम अयुर्वेदिक औषधि हैं।

         
सफ़ेद रक्त कोशिकाएं( wbc) बढ़ी या घटी हो 30 घंटे में समान्य हो जाती है। साथ में गिलोय काढ़ा लेना अति  उत्तम औषधि है। गिलोय काढ़ा भी हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

अज्ञात कारणों आए बुखार से  छुटकारा । ऐसा बुखार जिसके कारणों का पता नहीं चल पा रहा हो उसका उपचार भी गिलोय  काढ़ द्वारा संभव है।

पुररीवर्त्तक ज्वर/Typhus fever में गिलोय की चूर्ण तथा उल्टी के साथ ज्वर होने पर गिलोय का  काढ़ा शहद के साथ रोगी को दिया जाना चाहिए।


काढ़ा कैसे बनाए ?
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6 ग्लास पानी लेकर आग पर रख दे।

उसमे नीचे लिखी सामग्री डाले
☑️  गिलोय हरी - 100 ग्राम
☑️ किसमिश     -10 पीस
☑️ छुहारे।         - 5 पीस
☑️ तुलसी पत्ते    -50 पीस
☑️ पपीता पत्ता। -1पीस
☑️  पिपल पत्ते   -5 पीस

सभी सामग्री को तब तक उबाले जब तक आधा न रह जाए। 3 ग्लास बाकी बचा काढ़ा ठण्डा होने पर 1 ग्लास सुबह/1 दुपहरी/1 शाम को ले। यह क्रिया 3 दिन लगातार करे। यह काढ़ा किसी बुखार में रामबाण है।

नोटः: बना बनाया काढ़ा  और दवा सिद्ध अयुर्वेदिक आश्रम सानीपुर रोड  सिरहिन्द से प्राप्त करे।

गिलोय बेल चुर्ण से बनी अयुर्वेदिक औषिध


        
सिद्ध ज्वर नाशक कल्पचुर्ण
                     
टाइफाइड, डेंगू, चिकन गुनिया,दिमागी बुखार, वायरल फीवर और मलेरिया।किसी भी प्रकार का  बुखार और हैपेटाटस ए बी सी  हो या डेंगू बुखार हो.... यह दवा रामबाण हैं।


☑️ संपर्क करे -whats 78890*  53063/
9417862263

☑️ सिद्ध ज्वर नाशक कल्पचुर्ण  औषधि यह लाभ करती है- 3 ग्राम दवा 50000 डेंगू cell{ wbc} निर्मित करती है। बढ़े हुए wbc को समानता देती हैं।


सिद्ध ज्वर नाशक कल्पचुर्ण -सामग्री
☑️ वासा 100 ग्राम
☑️ गिलोय चूर्ण 100 ग्राम
☑️  सतावरी 100 ग्राम
☑️ आंवला चूर्ण 100 ग्राम
☑️ कुटकी 100 ग्राम
☑️ छोटी हरड़ 100 ग्राम
☑️ तुलसी पाचांग-100 ग्राम
☑️ चरायता चूर्ण 100 ग्राम
☑️ अजमायण-50 ग्राम
☑️ मलॅठी-20 ग्राम
☑️ सौंठ-20 ग्राम
☑️ काली मिर्च -10 ग्राम

सभी  चूर्ण को मिलाकर 300 ग्राम गिलोय रस में भावना दे।

सेवन विधि- दिन मे 4 बार  2-2 ग्राम  3-3 घंटे बाद लेते रहे ।

साथ मे दुध भी जरूर ले । बुखार मे  लगातार 3 दिन दवा ले । हैपेटाटस है तो 21 दिन ले / 21 दिन के बाद टेस्ट कराए।

What पर पूरी जानकारी ले
☑️ 94178 62263
☑️ 7889053063


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