सिद्ध पित्ताशय नाशक कल्पचूर्ण में डाले जाते वाली सामग्री और विधि।
गुलहर फूल चुर्ण 500 ग्राम
इन्द्रयाण अजवाइन 200 ग्राम
त्रिफला 100 ग्राम
ब्रह्मी 100 ग्राम
इन्द्रयाण(कड़वी तुंबी) 100 ग्राम
सोंठ 100 ग्राम
अजमोदा फल का चूर्ण 100 ग्राम
मजीठा 100 ग्राम
गोखरू 100 ग्राम
बड़ी इलाची 100 ग्राम
हूर 100 ग्राम
सहजना की छाल 50 ग्राम
अपामार्ग 50 ग्राम
काली मिर्च 20 ग्राम
हींग 20 ग्राम
सेंधानमक 100 ग्राम
सभी मिलाकर चुर्ण बनाए। फिर 200 ग्राम गिलोय रस में भावना दे। सांय में सुखाए। सायं में सुखाने की 10 से 21 दिन तक कि विधि होती है।
सेवन विधि- दिन में 3 बार एक एक चम्मच दव 1 ग्लास गर्म पानी में 3 नीम्बू का रस घोलकर से ले।
साथ मे रात को रात 10 बजे आधा 50 ml जैतून या तिल का तेल – आधा 20 ml ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें
नोटः 21 दिन में पथरी किंतनी कम हुई है टेस्ट करवाए तो पता चले कि पथरी किंतनी कम हुई है।
और ध्यान दे -सिद्ध पित्ताशय पथरी कल्पचुर्ण दर्द को ततकाल बंद कर देता है पर बहुत बार दर्द थोड़ा थोड़ा रह भी सकता है। अगर पथरी बड़ी हो तो सिद्ध पित्ताशय पथरी कल्पचुर्ण टुकड़े करेगा उस वक्त दर्द बड़ सकता है। 10 से 20 मिनट तक दर्द रह सकता है।थोड़ा अपने पर विश्वास रखे दर्द बर्दाश्त करे।
नोटः - सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचूर्ण पित्त पथरी को भस्म करेगा और रसायन बन कर पथरी निकलेगी। क्यों कि पित्ताशय चारों और से बंद होता है।
दवा लेते समय पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें तो आछा है।
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कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - पित्त की थैली में पथरी क्यों बनती हैं।
जब ज्यादा वसा से भरा पदार्थ यानी घी, मक्खन, तेल वगैरह से बने पदार्थ का सेवन करते हैं तो शरीर में कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम कार्बोनेट और कैल्शियम फांस्फेट के अधिक बनने से पित्ताशय में पथरी का निर्माण होता है।
रक्त विकृति के कारण छोटे बच्चों के शरीर में भी पथरी बन सकती है। पित्ताशय में पथरी की बीमारी से स्त्रियों को ज्यादा कष्ट होता है।
30 वर्ष से ज्यादा की स्त्रियां गर्भधारण के बाद पित्ताशय की पथरी से अधिक ग्रस्त होती हैं।
कुछ स्त्रियों में पित्ताशय की पथरी का रोग वंशानुगत भी होता है। खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होने पर कैल्शियम के मिलने से पथरी बनने लगती है।
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🌹 कैसे पता चले कि पित्ते में पथरी है🌹
♈ पित्त की थैली में पथरी के लक्षण ♈
पेट के ऊपरी भाग में दायीं ओर बहुत ही तेज दर्द होता है और बाद में पूरे पेट में फैल जाता है। लीवर स्थान बड़ा और कड़ा और दर्द से भरा होता है। नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। शरीर ठंड़ा हो जाता है, मिचली और उल्टी के रोग, कमजोरी (दुर्बलता), भूख की कमी और पीलिया रोग के भी लक्षण होते हैं। इसका दर्द भोजन के 2 घण्टे बाद होता है इसमें रोगी बहुत छटपटाता है।
भोजन तथा परहेज :
गाय का दूध, जौ, गेहूं, मूली, करेला, अंजीर्ण, तोरई, मुनक्का, परवल, पके पपीता का रस, कम खाना, फल ज्यादा खाना और कुछ दिनों तक रस आदि का प्रयोग करें।
चीनी और मिठाइयां, वसा और कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें- इस रोग में कदापि सेवन न करें। तेल, मांस, अण्डा, लाल मिर्च, हींग, उड़द, मछली और चटपटे मसालेदार चीजें, गुड़, चाय, श्वेतसार और चर्बीयुक्त चीजें, खटाई, धूम्रपान, ज्यादा मेहनत और क्रोध आदि से परहेज करें।
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🌹यह लोग सेवन न करे🌹
♈ वैसे इस दवा का कोई नुकसान नही है ♈
☑️ फिर भी तासीर गर्म होने के कारण यह लोग ध्यान से उपयोग करे।
☑️ सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण उन महिलाओं के लिए असुरक्षित है जो गर्भवती हैं या जो प्रजनन उपचार के दौर से गुजर रही हैं।
☑️ सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर कम करती है और मासिक धर्म का कारण हो सकती है, जिससे गर्भपात हो सकता है या खून बह सकता है।
☑️ विशेष रूप से, पहली तिमाही में गर्भवती महिलाओं को बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए।
☑️ हार्मोन उपचार करवा रही महिलाओं या गर्भनिरोधक गोलियां ले रही महिलाओं को सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण नहीं लेनी चाहिए।
☑️ सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण के उपयोग से नींद आने लगती है। अतः वाहन ड्राइव करते समय या मशीन चलाते समय गुड़हल सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण का उपयोग नहीं करें।
☑️ सिद्ध पित्ताशय पथरी नाशक कल्पचुर्ण के उपयोग से उच्च रक्तचाप को कम किया जाता है। निम्न रक्तचाप वाले इस का उपयोग नहीं करें।
☑️ इसके उपयोग से आप का स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। इस लिये किसी जानकार वैद्य या अयुर्वेदिक आचार्य की देख रेख में ही दवा बनाएं या इस्तेमाल करे।
नोटः सिद्ध अयुर्वेदिक से दवा मंगवाते समय अपने शरीर की पूरी जानकारी दे।
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