नाड़ी दुर्बलता कल्पचुर्ण-नाड़ी दुर्बलता(Nervous Weakness) के लिए


     नाड़ी दुर्बलता(Nervous Weakness) के लिए


                        
नाड़ी दुर्बलता कल्प योग
सेवन विधि: सुबह शाम 1चम्मच चुर्ण 1कैप्सुल अश्वगंधा 1कैप्सुल 
स्टेमिना खाने से 30 मिनट बाद ताजे पानी से सेवन कर 200 ग्राम 
दूध पिएँ।
लाभः
शरीरिक कमजोरी और दुर्बलता दूर होगी।
मस्तिष्क कमजोरी दूर होगी।
नाड़ियों की कमजोरी दूर हो कर नाड़ियों ताकतवर बनेगी।
काम ऊर्जा बलवान बनेगी।

नाड़ी दुर्लबता कल्पचुर्ण के घटक
⤵️
अश्वगन्धा 100 ग्राम
गिलोय 100 ग्राम
सर्पगन्धा 100 ग्राम
ब्रह्मबुटी 100 ग्राम
संखपुष्पी 100 ग्राम
सतावर 100 ग्राम
बाहीपत्र 100 ग्राम
इसबगोल की भूसी 100 ग्राम
तालमिश्री 100 ग्राम

इन सबको कपड़छन चूर्ण बनाकर एक काँच की शीशी में भरकर रख लें।

सेवन विधि ऊपर बता दी गई हैं।
21 दिन तक लेने के बाद ही मस्तिष्क एवं शरीर रक्त में संचार का अनुभव होगा।


नाड़ी दुर्बलतामें क्या होता है

जब किसी व्यक्ति नाड़ी दुर्बलता का रोग हो जाता है तो उसे नींद बहुत आती है।
 तथा उसकी पाचनक्रिया खराब हो जाती है जिसके कारण उसको भूख नहीं लगती है तथा खाया हुआ खाना ठीक से पचता नहीं है।

रोगी का शरीर गिरा-गिरा सा रहता है तथा उसे यौन सम्बंधी अनियमिताएं भी हो जाती हैं। रोगी को भय, क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, चिड़चिड़ापन, दुविधा में रहना आदि परेशानियां भी हो जाती हैं।

रोगी को कोई काम करने का मन नहीं करता है और उसका मन इधर-उधर भटकता रहता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी आत्महत्या करने का मन करता है तथा रोगी को अकेले रहने का मन करता है और उसे कहीं भी शांति नहीं मिलती है।


          इस रोग से पीड़ित रोगी को सहानुभूति की आवश्यकता होती है इसलिए इस रोग के रोगी के साथ मधुरवाणी (प्यार भरे शब्द) से बोलना चाहिए और रोगी व्यक्ति को अधिक देर तक सोने देना चाहिए।


रोगी को सोच-विचार का अधिक कार्य नहीं करना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को पहले की सारी बातें याद दिलानी चाहिए जिसमें उसने कोई सफलता प्राप्त की हो या फिर उसने अच्छे स्थान की यात्रा की हो।

रोगी की इच्छाओं को महत्व देना चाहिए। रोगी व्यक्ति के साथ कभी भी बहस नहीं करनी चाहिए।

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