सिद्ध कैंसर नाशक कल्पचुर्ण-नही बढ़ने देगा कैंसर की इंफेक्शन को









सिद्ध कैंसर नाशक कल्पचुर्ण


सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को मजबूत और बढ़ाने वाला अयुर्वेदिक योग।

कृपया हटाएं नहीं - आगे भेजे ।।


गले का कैंसर
रक्त कैंसर
ब्रेन कैंसर
स्तन कैंसर
कोलन कैंसर
लिवर कैंसर
फेफड़े का कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर
डिम्बग्रंथि के कैंसर
गुर्दे का कैंसर
रीढ़ की हड्डी का कैंसर
पेट का कैंसर
हड्डी कैंसर

सभी गांठ रोग में यह योग काम करता है।
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क्या है अयूर्वादिक कैंसर दवा

सतावर चूर्ण 500 ग्राम
अश्वगंधा 100 ग्राम
गिलोय चुर्ण 100 ग्राम
इंद्ररायाण अजवाइन 100 ग्राम
तुलसी पंचाग 100 ग्राम
नीम पंचाग 100 ग्राम
सोंठ 100 ग्राम
मेथी दाना 50 ग्राम
चरायता। 50 ग्राम
अम्बा हल्दी। 50 ग्राम
लाल चित्रक। 50 ग्राम
कलौंजी 50 ग्राम
दालचीनी 50 ग्राम
खुरासानी कुटकी 50 ग्राम
मदार की जड़ 50 ग्राम
कचनार छाल चूर्ण। 50 ग्राम
फिटकरी (भुनी) 50 ग्राम
ताम्र सिंदूर 25 ग्राम
इमली चुर्ण 25 ग्राम

सभी को कूटकर कर 500 मिलीलीटर एलोवेरा रस में मिलाकर धूप में सुखाए। जब यह सुख जाए तो दिन में 3 बार ताजे पानी से सेवन करे।
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साथ मे यह करते रहे-:

1 मिट्टी के बर्तन में 300 मिलीलीटर पानी भर लें। इसमें 12 ग्राम अजवायन, 12 ग्राम मोटी सौंफ, दो बादाम की गिरी रात को भिगो दें।

सुबह पानी के साथ छानकर इनको पत्थर के सिलबट्टे पर पीसें। इनको पीसने में इन्हें भिगोकर छाना हुआ पानी ही काम में लें।

फिर 21 पत्ते तुलसी के तोड़कर, धोकर इस पिसे पेस्ट में डालकर फिर से बारीक पीसें और छानकर रखे पानी में स्वाद के अनुसार मिश्री पीसकर घोलें।

अन्त में पेस्ट मिलाकर कपड़े से छान लें और पीयें। यह सारा काम पीसकर, घोल बनाकर पीना, सब सूर्य उगने से पहले करें। सूर्य उगने के बाद बनाकर पीने से लाभ नहीं होगा।

इसे करीब 21 दिनों तक सेवन करें। जब तक लाभ न हो, आगे भी पीते रहें। इससे हर प्रकार के कैंसर से लाभ होता है।
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अनार दाना और इमली को रोजाना सेवन करते रहने से कैंसर के रोगी को आराम मिलता है और उसकी उम्र 10 वर्ष के लिए और बढ़ सकती है।

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अंगूर का सेवन करें, 1 दिन में दो किलो से ज्यादा अंगूर न खायें। कुछ दिनों के बाद छाछ पी सकते हैं और कोई चीज खाने को न दें। इससे लाभ धीरे-धीरे महीनों में होगा। कभी-कभी अंगूर का रस लेने से पेट दर्द, मलद्वार पर जलन होती है। इससे न डरे। दर्द कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। दर्द होने के बाद इसे सेंक सकते हैं। इस प्रयोग से कैंसर की बीमारी में आराम मिलता है।

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दही के लगातार सेवन से कैंसर होने की संभावना नहीं रहती है।
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गेहूं के नये पौधों का रस रोजाना सुबह-शाम पीने से कैंसर रोग ठीक हो जाता है।आधा कप गेहूं धोकर किसी बर्तन में दो कप ताजा पानी डालकर रख दें। 12 घंटे के बाद उस पानी को सुबह-शाम पीयें। लगातार 8-10 दिनों में ही रोग भागने लगेगा और 2-3 महीने के लगातार प्रयोग से कैंसर रोग से मरने वाला प्राणी रोग मुक्त हो जाएगा।

कैंसर भी शरीर की एक स्थिति मात्र है, जो यह बताती है कि अदभुत यंत्र में कोई खराबी है।

प्रकृति हमेशा शरीर में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है। कुछ लोग कैंसर से पीड़ित होते है और कुछ को अन्य बीमारियां।

यह इसलिए कि सबके जीने का ढंग अलग-अलग होता है। एक महिला की छाती में कैंसर था वह सभी प्रकार की चिकित्सा कराकर निराश हो चुकी थी।

उसको सभी प्रकार के रसों का आहार दिया गया तो वह कुछ ही महीनों में ठीक हो गई। इसी प्रकार एक ल्यूकीमिया के रोगी को पानी को एनिमा देकर पेट साफ किया गया और बाद में एनिमा से ही आंतों में गेहूं के पौधे का रस पहुंचाया गया और वह रोगी भी ठीक हो गया।

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लहसुन के सेवन से पेट का कैंसर नहीं होता है। खाना-खाने के बाद 2 लहसुन को चबाकर 1 गिलास पानी के साथ पीयें। पेट कैंसर होने पर लहसुन को पानी में पीसकर कुछ दिनों तक पीयें। इससे लाभ होगा।
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तांबे के लोटे में रात को पानी भरकर रख दें। सुबह इसी पानी को पीयें। इससे कैंसर में लाभ होगा।


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